Sunday, July 21, 2013

{ ६२७ } {July 2013}





अब और न प्यासे को यूँ भटकाओ
मेरी आशाओं को अब न ठुकराओ
हृद-वीणा के तारों से उपजे सरगम
आओ कुछ प्रेम-गीत रचो-सुनाओ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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