पल्लव
Monday, December 29, 2014
{ ८४२ } {Dec 2014}
इस गुलजार गुलशन को ये कैसा चमन बना दिया है जमाने ने
जहाँ दिन के आगाज़ का पैगाम अब नहीं देते गुल और कलियाँ।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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