पल्लव
Wednesday, December 17, 2014
{ ८३५ } {Nov 2014}
तुम उसकी नादानियों को बिसराना समझ बैठे
वो मिलने की आरजू लिये ही जिये जा रहा है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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