Monday, December 29, 2014

{ ८४६ } {Dec 2014}




मोहब्बत की रोशनाई और एहसासों की कलम
इन्ही से हम ज़िन्दगी भर अपने इम्तिहाँ देते रहे।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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