पल्लव
Tuesday, December 30, 2014
{ ८४७ } {Dec 2014}
उसका रूठना फ़िर हंसना-हंसाना अच्छा लगता है
आँखों-आँखों में उससे बतियाना अच्छा लगता है
शायद मेरी मोहब्बत आज-कल मुझसे रूठ गई है
इस लिये ख्वाबों में डूबना उतराना अच्छा लगता है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment