पल्लव
Monday, December 29, 2014
{ ८४० {Nov 2014}
जुनूने-इश्क में मस्ताने कहाँ कहाँ पहुँचे
रफ़्ता - रफ़्ता अफ़साने कहाँ-कहाँ पहुँचे
ये. बात. शमा. में जलते. पतिंगे से पूछो
ज़ख्मे-ज़िगर ले दीवाने कहाँ-कहाँ पहुँचे।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment