पल्लव
Wednesday, December 17, 2014
{ ८३४ } {Nov 2014}
जागते है हम रात को बस इसी वास्ते
वो ख्वाबों में आकर कहीं लौट न जाये।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment