Wednesday, January 4, 2012

{ १२७ } {Jan 2012}





नित जीवन की बेला में
सपनो के सेज सजाती हूँ
तुझको पाने की आशा में
निज मन को बहलाती हूँ ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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