Saturday, January 21, 2012

{ १४४ } {Jan 2012}





खुश हो तुम महफ़िल में रहने लग गई हो
अपने हुनर से कुछ ऐब करने लग गई हो
अब कोई नही कह सकता तुमको कातिल
जब मुस्कुराकर कत्ल करने लग गई हो ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment