पल्लव
Wednesday, January 4, 2012
{ १३१ } {Jan 2012}
अब कहाँ वो इन्तजार की वो रातें
न अब वो सिलसिले हैं ख्वाबों के
जिनकी खुशबू बसी मेरे गीतों में
अब उड चुके हैं रंग उन गुलाबों के ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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