पल्लव
Friday, January 13, 2012
{ १३५ } {Jan 2012}
तेरी बातें जब-जब भी मुझे याद आती हैं
दिलो-दिमाग से और बातें उतर जाती है
तुझे जिस जगह कभी देखा करता था मै
अब नजर वहाँ पहुँच कर ठहर जाती है ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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