पल्लव
Saturday, January 21, 2012
{ १४२ } {Jan 2012}
राह है काँटों की पाँव बँधन में
ज़िन्दगी है अजीब उलझन में
मेरी ज़िन्दगी में तुम हो जैसे
चाँदनी चहके बबूल के वन में ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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