पल्लव
Monday, March 19, 2012
{ २१६ } {March 2012}
वो रंग बस अभिलाष, याद बन कर रह गये
न चुन सके हम शबनम के रूप अनुपम को
आसीन आँख पर, क्या कहे इस पुरनम को
अवाक-अचंभित वाद-संवाद बन कर रह गये
वो रंग बस अभिलाष, याद बन कर रह गये।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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