पल्लव
Monday, March 26, 2012
{ २२० } {March 2012}
देख कर शराब दिल बहलता है
जाम का दौर पर दौर चलता है
लडखडाते हैं रिन्द जितना ही
मयकदा उतना ही सँभलता है ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment