पल्लव
Wednesday, March 7, 2012
{ २०८ } {March 2012}
आ जा ओ रमणी
आ जा ओ कामिनी
आने में विलम्ब कैसा
कोष मकरन्द जैसा
पात्र मे छलकता
अगम पारावार है ।
ओ मेरे दिलदार
ओ नैन कटार
होली का रंग है
आज कर उपकार
आज विजया संग
रास रंग विहार है ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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