Sunday, November 11, 2012

{ ३९५ } {Nov 2012}





तन के बहुत हैं उजले-उजले
मन के उतने ही काले-काले
परख लो इनको अभ भी तुम
दिखने में लगते भोले-भाले।।

-- गोपाल कॄष्ण शुक्ल

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