पल्लव
Sunday, November 4, 2012
{ ३९३ } {Nov 2012}
क्यों इश्क का दिल पर मेरे तीर चलाया
हम रह गये प्यासे ही तूने जहर पिलाया
छेड दी फ़िर तूने भूली हुई यादों की धुन
क्यों दिल के सोये हुए जख्मो को जगाया।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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