Friday, November 16, 2012

{ ४०२ } {Nov 2012}





जाने कहाँ गया वो जालिम तन्हाई का जहर पिला
हमदम की पा कर एक झलक मन का तार हिला
कैसे बीत गये दिन बचपन के सपने बुनते-बुनते
दिल के तपते सहरा में खुश यादों का फ़ूल खिला।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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