Sunday, November 18, 2012

{ ४०६ } {Nov 2012}





जाग उठी मन की तरुणाई
अब न कटे ये दूरी तनहाई
बाहों में तुम मुझको भर लो
महक उठी है सारी अमराई।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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