Saturday, November 3, 2012

{ ३८७ } {Nov 2012}





मैंने जो महसूस किया तन्हाई में
साँस-साँस झलक रहा है मेरा दर्द
भटके बचपन अब भी गलियों में
जाने क्यूँ हुआ दिल आवारा-गर्द।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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