पल्लव
Thursday, January 22, 2015
{ ८५१ } {Dec 2014}
नीड़ दूर नहीं तेरा विहँग
तेरा ही है मेरा अँग-अँग
मै हूँ तेरा ही तू भी है मेरी
आ उड़ चलें दूर बन पतंग।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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