पल्लव
Saturday, January 31, 2015
{ ८६७ } {Jan 2015}
जो अक्स दिल में उतार सकूँ कहीं वो सूरत तो मिले
जानता हूँ ज़िन्दगी की हर ख्वाहिश पूरी नहीं होती।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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