पल्लव
Thursday, January 22, 2015
{ ८५४ } {Jan 2015}
खाक में मिल गये टूट कर आँख से आँसू
लहूलुहान पड़ा है जब से जमीं पर सूरज।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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