पल्लव
Thursday, January 22, 2015
{ ८५३ } {Dec 2014}
खुद अपने. वजूद को. हमने. कभी. जिया नहीं
ज़िंदगी. मे ज़िंदगी. को ज़िंदगी सा जिया नहीं
पाँव. ने ही. हौसलों. का साथ छोड़ा है हर दफ़ा
अब कजा से कैसा डर जब ज़िंदगी जिया नहीं।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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