पल्लव
Friday, January 30, 2015
{ ८६२ } {Jan 2015}
ज़िन्दगी में दर्द मिले हैं बेशुमार पर
मौरूसी में आई खुशी बस जरा सी है
आँसुओं का है जन्म से ही नाता जुड़ा
प्राण हुए बेचैन रूह आज भी प्यासी है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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