Saturday, January 24, 2015

{ ८५७ } {Jan 2015}





जो गाते थे समवेत स्वरों में दिल की मीठी थापों पर
आज वही कर गये अँधियारा उजली-उजली रातों पर।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment