पल्लव
Monday, April 13, 2015
{ ९०४ } {April 2015}
न जाने कब से इधर-उधर भटक रहा है
मेरी किस्मत का जो खत लिखा उसने
इसमें ड़ाकिया क्या करे जब लिफ़ाफ़े पे
मेरा पता ही गलत लिख दिया उसने।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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