पल्लव
Sunday, April 12, 2015
{ ८९६ } {March 2015}
सुधियों से बोझिल नयनों में जब आँसू भर आते हैं
पलकों के दरीचे बन्द कर करते हम खुद से बाते हैं।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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