पल्लव
Sunday, April 12, 2015
{ ८९७ } {March 2015}
एक हम हैं जो आज भी तनहाई में जी रहे हैं
तुम्हारा क्या, तुम्हारा तो ये सारा जमाना है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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