Friday, April 10, 2015

{८८०} {Feb 2015}





जेहन में उनके मेरे जज़्बातों की कदर अब बची नहीं
इलज़ाम लगाना जब से उनकी फ़ितरत हो गयी है।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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