पल्लव
Monday, April 13, 2015
{ ९०२ } {March 2015}
मेरी. आँखों. के. समन्दर. रीत गये
बिन. बादल. बरसे सावन बीत गये
दिल की बाजी का कुछ हिसाब नहीं
कितने दिल हारे कितने जीत गये।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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