पल्लव
Monday, April 13, 2015
{ ९०३ } {March 2015}
दूर के पत्थर मोती है, मुट्ठी के मोती हैं पत्थर
हो रहा निस्बतों का समंदर इसी लिये लहू-लहू।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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