पल्लव
Monday, April 13, 2015
{ ९०७ } {April 2015}
गुलों की खुशबू, चमन का निखार तुम हो
ज़िन्दगी-ए-चमन की फ़सले बहार तुम हो
तेरे बगैर वीरान-बियाबाँ हो जाता है ये दिल
मेरी हर नज़र का सुरूर तुम खुमार तुम हो।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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