पल्लव
Sunday, April 12, 2015
{ ८९३ } {March 2015}
खो गया है सूरज कहीं पर दूर लगता है सबेरा
रिक्तता ही रिक्तता है ज़िंदगी का पथ अंधेरा
खोजते है इस बियाबान में किसे ये प्राण मेरे
वन-उपवन में हरतरफ़ हो गया तम का बसेरा।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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