पल्लव
Monday, April 13, 2015
{ ९०० } {March 2015}
ज़िन्दगी. है हँसी-खुशी के लिये
एक. रँगीन. दिलकशी के लिये
आओ हम बाँटे प्यार आपस में
कोई गैर न हो किसी के लिये।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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