पल्लव
Saturday, April 11, 2015
{ ८९० } {March 2015}
हम समझते थे कल तक जिन्हे अपना मौसमे-बहार
आज वो ही हमको दिखला रहे हैं आइना पतझार का।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment