Sunday, February 17, 2013

{ ४७२ } {Feb 2013}





अपने रिश्ते - नातों के बंधन धागे टूट गये
स्नेहिल सँगी - साथी भी सब पीछे छूट गये
जब भी आँखें करती रहतीं अश्कों की बारिश
लगता जैसे दुखती यादों के बादल फ़ूट गये।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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