Wednesday, February 27, 2013

{ ४९५ } {Feb 2013}





कभी अपने ही परिवेश से अंजान है ज़िन्दगी
भूली-बिसरी हुई यादों का तूफ़ान है ज़िन्दगी
कामनाओं के मधुवन में हिरनी सी उछलती
कभी गम, कभी खुशी से गुंजान है ज़िन्दगी।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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