पल्लव
Friday, February 22, 2013
{ ४९० } {Feb 2013}
है कभी मिलन की आस लिये
तो लिये विरह का ज्वार कभी
मधुवन में आता ही रहता है
कौमुद कभी मधुमास कभी।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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