Friday, February 22, 2013

{ ४८५ } {Feb 2013}






तुम्हे खोजने निकला हूँ, फ़िर डर कैसा
कँटक और सुमन पथ में, अंतर कैसा
सँरक्षित है जब तुमसे मेरा अपनापन
जीवन की मधु संग्या है, पतझर कैसा।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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