Wednesday, February 27, 2013

{ ४९९ } {Feb 2013}





मेरे भावों-गीतों-एहसासों में अक्सर सन्नाटा गाता है
जितनी दूर नजर जाती है केवल धुआँ नजर आता है
जीवन के रिश्तों में खिंच चुकी कटुता की लम्बी रेखा
एक छोर को सच करने मे छोर दूसरा झुठला जाता है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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