पल्लव
Monday, February 25, 2013
{ ४९२ } {Feb 2013}
मैं चला था रागिनी तुमको बनाने
प्यार की तरन्नुम को गुनगुनाने
छू गये लेकिन हर बार गहरे तक
बीच राह बीती सुधियों के जमाने।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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