पल्लव
Monday, February 25, 2013
{ ४९३ } {Feb 2013}
हो शब्द की गूँज ऐसी तार तेरे ही बजें
लेखनी से अब हमारे गीत तेरे ही सजें
मीत ये सपने हमारे तू कर दे साकार
तुमसे प्यार ही माँगा है प्यार ही सजे।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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