पल्लव
Friday, February 22, 2013
{ ४८९ } {Feb 2013}
इसांन के हालात कब हैं, किसी के बस में
बिखरे हुए लम्हात कब हैं किसी के बस में
एक ही रात मिल पाई इत्तिफ़ाकन वरना
रब तेरे दिन रात कब हैं किसी के वश में।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment