Monday, February 25, 2013

{ ४९१ } {Feb 2013}





अपने दिल की तमाम बेचैनियों को
तुमसे न कहूँ तो फ़िर किससे कहूँ
दुनिया की नजरों से हो के दूर बहुत
अश्कों की तरह थम-थम कर बहूँ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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