पल्लव
Friday, February 22, 2013
{ ४८६ } {Feb 2013}
बिन पीडा, बिन मस्ती के
बोलो मैं गान सुनाऊँ कैसे
रस - भरे मधुर गीतों को
बोलो प्रियतम गाऊँ कैसे।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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