पल्लव
Wednesday, February 27, 2013
{ ४९७ } {Feb 2013}
आँसू नहीं देखे तुमने आहें नही जानी
आग को सुनाते तुम, नीर की कहानी
रेत की तपन ही किसी मेघ को पुकारे
प्यासा है मन लिये झील की निशानी।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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