पल्लव
Tuesday, February 19, 2013
{ ४८२ } {Feb 2013}
ज़िन्दगी का हर सफ़र बन गया यादों का घर
वो न यहाँ न वहाँ, पर हर तरफ़ आती नज़र
आई क्यों जीवन में, क्यों सपनों में छाई थी
सच को जानता हूँ, फ़िर भी बहके मेरी डगर।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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