पल्लव
Monday, September 24, 2012
{ ३४७ } {Sept 2012}
भावनायें, खूबसूरत फ़ूल भी हो सकती हैं
भावनायें, बदसूरत खार भी हो सकती हैं
चाहे खुश्बू की मानिन्द जियें मुस्कुरायें
चाहे खार की मानिन्द चुभे औ’ मुरझायें।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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