पल्लव
Thursday, September 27, 2012
{ ३६७ } {Sept 2012}
जिस्म की चोट का कोई डर नही
वक्त के साथ-साथ ये भर जायेंगे
लफ़्जों की चोट न देना किसी को
दिल तक को ये घायल कर जायेंगें।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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